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शुक्रवार, 31 जुलाई 2020

चीन के राजदूत ने कहा- हमारी इकोनॉमी एक दूसरे पर टिकी हैं, इन्हें जबरन अलग करने से नुकसान होगा

चीन ने गुरुवार को कहा कि भारत से उसकी इकोनॉमी को अलग करने से दोनों देशों को नुकसान होगा। चीन के राजदूत सुन वेइडोंग ने कहा कि उनका देश भारत के लिए स्ट्रैटजिक खतरा नहीं है और उस स्ट्रक्चर में भी कोई बदलाव नहीं हुआ है दोनों एक-दूसरे के बिना नहीं रह सकते। चीन का ये बयान ऐसे समय आया है जब भारत ने पिछले दिनों चाइनीज ऐप बैन किए हैं और बॉर्डर पर दोनों देशों के बीच तनाव बना हुआ है।

चीन के राजदूत भारत-चीन संबंधों पर इंस्टीट्यूट ऑफ चाइनीज स्टडीज, दिल्ली की तरफ हुई वेबिनार में बोल रहे थे। उन्होंने सहयोग का रवैया रखने की वकालत करते हुए कहा है कि किसी एक को नुकसान पहुंचाने की सोच नहीं रखनी चाहिए। उनका कहना है कि हमारी अर्थव्यवस्थाएं एक-दूसरे पर टिकी हुई हैं। इन्हें जबरदस्ती अलग करना ट्रेंड के खिलाफ है और इससे सिर्फ नुकसान ही होगा।

सरकार ने रंगीन टीवी के इंपोर्ट पर रोक लगाई
डोमेस्टिक मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने और चीन जैसे देशों से गैर-जरूरी वस्तुओं का इंपोर्ट कम करने के मकसद से यह फैसला लिया गया है। भारत में टीवी सेट का सबसे बड़ा एक्सपोर्टर चीन ही है।

व्यापार में सहयोग से इंडस्ट्रीज का डेवलपमेंट बढ़ा: चीन
दूसरी तरफ चीन के राजदूत ने कहा कि 2018-19 में भारत में 92% कंप्यूटर, 82% टीवी, 80% ऑप्टिकल फाइबर, 85% मोटरसाइकिल कंपोनेंट चीन से इंपोर्ट हुए। इससे व्यापार में ग्लोबलाइजेशन का पता चलता है। आप चाहें या नहीं चाहें, इस ट्रेंड को बदलना मुश्किल है। भारत-चीन के बीच ट्रेड को-ऑपरेशन से मोबाइल फोन, हाउसहोल्ड एप्लायंसेज, इन्फ्रास्ट्रक्टर, ऑटोमोबाइल मेकिंग और मेडिसिन जैसी इंडस्ट्रीज का डेवलपमेंट तेज हुआ है।

चीन के सैनिक सभी मोर्चों से पीछे नहीं हटे: भारत
भारत ने पूर्वी लद्दाख में चीन के सैनिकों के पीछे हटने के दावों को खारिज किया है। विदेश मंत्रालय ने गुरुवार को कहा कि लद्दाख में सैनिकों के पीछे हटने का प्रोसेस अभी पूरा नहीं हुआ है। इसके लिए कमांडर लेवल की बातचीत का अगला राउंड जल्द शुरू किया जाएगा। उम्मीद है कि चीन सीमा पर शांति के लिए जल्द से जल्द गंभीरता दिखाएगा।



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चीन के राजदूत सुन वेइडोंग ने भारत-चीन संबंधों पर हुई वेबिनार में कहा कि व्यापार में किसी एक को नुकसान पहुंचाने की सोच नहीं रखनी चाहिए। (फाइल फोटो)


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एक दिन में रिकॉर्ड 54750 मरीज बढ़े, देश में अब तक 16.39 लाख केस; मौतों के मामले में दुनिया में पांचवें नंबर पर पहुंचा भारत

देश में कोरोना संक्रमितों की संख्या 16 लाख 39 हजार 350 हो गई है। गुरुवार को रिकॉर्ड 54 हजार 750 मरीज बढ़े। वहीं, 37 हजार 425 मरीज स्वस्थ भी हो गए। पिछले 24 घंटे में इस बीमारी से 783 लोगों ने दम तोड़ा। ये आंकड़े covid19india.org के मुताबिक हैं।

उधर, कोरोना संक्रमण की वजह से मौतों के मामले में भारत अब इटली को पछाड़कर 5वें नंबर पर पहुंच गया है। वेबसाइट worldometers के मुताबिक, शुक्रवार सुबह तक भारत में कोरोना से 35 हजार 786 लोगों की मौत हो चुकी है। कोरोना से मौतों के मामले में सबसे आगे अमेरिका (1 लाख 54 हजार 963), ब्राजील (91 हजार 263), ब्रिटेन (45 हजार 999) और फिर मेक्सिको (45 हजार 361) है। इटली में 35 हजार 132 मौतें हुई हैं।

5 राज्यों का हाल
मध्य प्रदेश: राज्य में जून की अपेक्षा जुलाई में संक्रमण की रफ्तार तीन गुना से ज्यादा हो गई है। प्रदेश में 1 जून से 30 जून के बीच कोरोना के 5592 पॉजिटिव मरीज मिले थे। जबकि जुलाई में 30 दिन में कोरोना के 17315 मरीज मिले हैं। ये बीते महीने की तुलना में तीन गुना से ज्यादा हैं।

भोपाल में इस दौरान ढाई गुना मरीज बढ़े हैं। 30 जून तक यहां 3029 मरीज थे, इनमें 1432 मरीज केवल जून महीने में मिले थे। जबकि जुलाई में 3587 पॉजिटिव मिले हैं।

राज्य सरकार ने 31 अगस्त तक राज्य में सभी सरकारी और निजी स्कूलों को बंद रखने के आदेश जारी किए हैं। वहीं, राज्य के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा, 'कोरोना संकट के कारण प्राइवेट स्कूल छात्रों से ट्यूशन फीस के अलावा अन्य फीस नहीं लेंगे। शिक्षा विभाग यह सुनिश्चित करेगा कि यदि माता-पिता फीस देने में सक्षम नहीं हैं, तो उनके बच्चे का नाम किसी भी परिस्थिति में स्कूल से नहीं हटाया जाए।'

महाराष्ट्र: सरकार ने राज्य में लॉकडाउन 31 अगस्त तक बढ़ा दिया। उधर, गुरुवार को राज्य में रिकॉर्ड 11 हजार 147 लोग पॉजिटिव मिले। इसी के साथ अब संक्रमितों का आंकड़ा 4 लाख 11 हजार 798 हो गया है।

राजस्थान: प्रदेश में एक सितंबर से सभी धार्मिक स्थल आम लोगों के लिए खुल जाएंगे। सरकार ने इनसे कहा है कि अभी से सोशल डिस्टेंसिंग और हेल्थ प्रोटोकॉल के साथ धार्मिक स्थलों को खोले जाने के लिए तैयारी शुरू करें।

एक माह में प्रदेश में सबसे ज्यादा 3898 नए रोगी जोधपुर में आए। 30 जून को जोधपुर में 2793 रोगी थे जो अब 6691 हो गए। पिछले एक माह में अलवर में 3283 रोगी बढ़े, यह एक माह में रोगियों में 625% बढ़ोतरी है। 30 जून को अलवर में कुल संक्रमित 525 थे जो अब 3807 हो गए हैं। जयपुर में एक माह पहले 3318 रोगी थे जो अब 5255 हो गए। कुल 1937 की बढ़ोतरी।

बिहार: राज्य में गुरुवार को कोरोना सैंपल जांच की संख्या 20 हजार को पार कर गई। अब तक एक दिन में रिकॉर्ड 20801 सैंपल की जांच की गई। बुधवार की तुलना में जांच की संख्या में तीन हजार का इजाफा हुआ है। बुधवार को कुल 17794 सैंपल की जांच हुई थी।

राज्य में 30 जून तक कुल 2 लाख 20 हजार 890 कोरोना टेस्ट हुए, जबकि जुलाई महीने में गुरुवार तक कुल 3 लाख 4 हजार 540 टेस्ट हुए। आंकड़े बताते हैं कि राज्य में अब तक हुए कुल टेस्ट 5 लाख 25 हजार 430 का 58% हिस्सा, यानी टेस्ट जुलाई महीने में ही हुआ।

उत्तर प्रदेश: राज्य में पिछले 24 घंटे के दौरान कोरोनावायरस के 3705 नए मामले सामने आए हैं। नए मरीजों के बढ़ने की ये अब तक की सबसे बड़ी संख्या है। राज्य में अब 32,649 एक्टिव केस हैं। जबकि, 46,803 लोग ठीक होकर घर जा चुके हैं।



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यह तस्वीर दिल्ली की है। गुरुवार को यहां 19 हजार से ज्यादा लोगों के सैंपल लिए गए। एक हजार से ज्यादा केस आए। कोरोना की वजह से 93 लोगों ने दम तोड़ा।


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अयोध्या का वो मंदिर जहां राम-जानकी विवाह करवाना ही पूजा माना जाता है और जहां राम के कोहबर में जाते खत्म हो जाती है रामायण

शाम सात बजे का वक्त है। अशोक के पत्तों से सजाए गए झूले पर राम-जानकी का रूप धारण किए दो बच्चे झूला झूल रहे हैं। सामने साधु-सन्यासियों की टोली हारमोनियम, ढोलक, झाल और दूसरे वाद्य यंत्रों के साथ पालथी जमाए है और गा रही है-

‘जय रहे अवधेश लनन, मिथलेश लली जी की जय रहे…
पिया संवारों सो है घटा, सिया दामिनी सी छा रही…..
बातें मधुर रस-रहस के आनंद जल बरसा रहे…’

ये सब रात के नौ बजे तक चलता रहा। इस दौरान प्रसाद के तौर पर इलायची बांटी गई और वहां बैठे हर व्यक्ति की हथेली के पिछले हिस्से पर इत्र लगाई गई। ये दृश्य अयोध्या में स्थित बिअहुती भवन मंदिर के अंदर का है। बिअहुती भवन का मतलब हुआ वो भवन जहां अभी-अभी विवाह सम्पन्न हुआ है, जहां विवाह होने वाला है या जहां अक्सर विवाह सम्पन्न होते हैं, लेकिन यहां ये एक मंदिर है जहां राम केवल दूल्हे के रूप में पूजे जाते हैं।

हारमोनियम, ढोलक, झाल और दूसरे वाद्य यंत्रों के साथ पालथी जमाए संतों की टोली।

सावन महीने में हर शाम यहां राम-जानकी को झूला झुलाया जाता है और हर महीने की पंचमी तिथी को राम-सिया का विवाह करवाया जाता है। इस मंदिर या यहां रह रहे चालीस साधुओं के लिए राम की आराधना का यही एक तरीका है। विवाह भवन में रहने वाले, बच्चों का श्रृंगार करके उन्हें राम-सिया जैसा बनाने वाले भोला बाबा उर्फ नरेंद्र नाथ पाठक कहते हैं, ‘ये अयोध्या का अकेला मंदिर है जो राम को दूल्हे के तौर पर पूजता है। हमारे राम को गुस्सा नहीं आता। वो तो हमेशा मुस्कुराते रहते हैं। हमने और हमारे गुरुओं ने राम को हमेशा एक दूल्हे के तौर पर देखा है। इसके अलावा कुछ नहीं। हम अपने दूल्हे का विवाह करवाते हैं और यही हमारी पूजा है।’

बातचीत करते हुए भोला बाबा हमें मंदिर के अंदर घुमाते हैं। मंदिर में एक विवाह वेदी है जहां राम-जानकी का विवाह होता है और ये गीत-संगीत के माध्यम से होता है। मंदिर के एक हिस्से की तरफ इशारा करते हुए भोला बाबा कहते हैं, ‘विवाह वेदी वाले इलाके को हम जनकपुर मानते हैं। जहां राम और सिया झूला झूल रहे थे वो हिस्सा अयोध्या है। जब विवाह होता है तो वहां से बारात निकलती है और जनकपुर आती है।’

मंदिर में एक विवाह वेदी है जहां राम-जानकी का विवाह गीत-संगीत के माध्यम से होता है।

बिअहुती भवन मंदिर के अहाते में घूमते हुए एक ही मंदिर में अयोध्या और जनकपुर दोनों देखते हुए उस कथन पर विश्वास बढ़ जाता है जिसमें कहा गया है कि राम सबके हैं और सबके राम भी अलग-अलग हैं। इसी अयोध्या से राम को गुस्सैल और आक्रमक बनाकर, दिखाकर विश्व हिंदू परिषद ने एक पूरा आंदोलन चलाया और यही एक मंदिर ऐसा है जो राम को बतौर दूल्हा पूजता है। पूजा के दौरान राम और सीता की सुंदरता को लोक गीतों और रागों की मदद से गाता है। जब हमने बिअहुती भवन मंदिर के वर्तमान महंत वैकुंठ शरण से पूछा कि इस मंदिर की पूजा पद्धति और दूसरों में इतना अंतर कैसे है? तो इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, ‘राम तो एक ही हैं। जो उन्हें जिस रूप में चाहता है, उस रूप में पूजता है। याद रखने वाली बात ये हैं कि आप जिस रूप में राम की पूजा करेंगे वो उसी रूप में आपको मिलेंगे।’

इस मंदिर में कोहबर भी है, जिसका हिंदी पट्टी खासकर बिहार और यूपी में होने वाले शादियों में खास महत्व है। मंदिर में बने कोहबर की तरफ इशारा करते हुए भोला बाबा कहते हैं, ‘हमारे लिए रामायण वहीं खत्म हो जाती है जब राम शादी के बाद कोहबर में जाते हैं।’ इसकी वजह पूछने पर वो कहते हैं, ‘इसके बाद के रामायण में जिस राम का जिक्र मिलता है। उनके द्वारा किए गए जिन कार्यों का जिक्र मिलता है वो हमारे राम जैसे नहीं हैं।’

मान्यता है कि सीता से विवाह के बाद राम जनकपुर में ही रह गए।

इस मंदिर की एक मान्यता यह भी है कि जिस तरह से पार्वती से विवाह करने के बाद भगवान शंकर घर जमाई बनकर कैलाश पर रह गए। जिस तरह से लक्ष्मी को पाने के बाद विष्णु क्षीर सागर में ही रह गए। ठीक उसी तरह से जनक की बेटी सीता से विवाह के बाद राम जनकपुर में ही रह गए। अयोध्या वापस गए ही नहीं।

इस मंदिर परिसर की दीवारों पर की गई तरह-तरह की चित्रकारी और परिसर की भव्यता को निहारते हुए हमारी मुलाकात मंदिर के एक युवा साधु सुनील शरण से हुई। सुनील यहां पिछले दस साल से रह रहे हैं और इनके मुताबिक मंदिर ने देश के एक बड़े इलाके में राम-सीता को पूजने के तरीके में बदलाव ला दिया है। वो बताते हैं, ‘इस मंदिर से जुड़े हजारों भक्त देशभर में फैले हैं। हम और हमारी टीम सालभर घूम-घूमकर उनके यहां पंचमी को राम-सीता विवाह करवाते हैं।’

इस मंदिर की मान्यता है कि राम के पूरे व्यक्तित्व में जो सबसे सुंदर पल है वो उनके जनकपुर जाने और दूल्हा बनने का है। अपनी इन्हीं मान्यताओं के आधार पर अयोध्या का बिअहुती भवन मंदिर उन्हें दूल्हे के तौर पर पूजता है और अपने भक्तों से पूजने का आग्रह करता है।

श्री बिअहुती भवन मंदिर का द्वार।

हर समाज, हर देश, हर वर्ग अपने-अपने हिसाब से मान्यताएं बनाता है। ये अलग बात है कि हिंदी पट्टी में तुलसीदास द्वारा रचित रामचरितमानस का खास महत्व है लेकिन ये भी सच है कि पूरे देश में करीब तीन सौ रामायण हैं। अब आखिर में आपको उस गीत की चार लाइनें बताते हैं जो राम-जानकी विवाहोत्सव के दौरान इस मंदिर के साधू-संत अक्सर गाते हैं। गीत के बोल हैं-

‘अवध नगर से जनकपुर आए वर सुंदर हे
मदन मोहन छवि निरखत लिए हिये अंदर हे
अनुपम सोहे सिर मौर, भूषण, पितांबर हे
अलक कुटिल भौहां, धनुषम कमल नयन सर हे’

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मंदिर में एक विवाह वेदी है जहां राम-जानकी का विवाह होता है और ये गीत-संगीत के माध्यम से होता है।


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एक दिन में रिकॉर्ड 54750 मरीज बढ़े, देश में अब तक 16.39 लाख केस; मौतों के मामले में दुनिया में पांचवें नंबर पर पहुंचा भारत

देश में कोरोना संक्रमितों की संख्या 16 लाख 39 हजार 350 हो गई है। गुरुवार को रिकॉर्ड 54 हजार 750 मरीज बढ़े। वहीं, 37 हजार 425 मरीज स्वस्थ भी हो गए। पिछले 24 घंटे में इस बीमारी से 783 लोगों ने दम तोड़ा। ये आंकड़े covid19india.org के मुताबिक हैं।

उधर, कोरोना संक्रमण की वजह से मौतों के मामले में भारत अब इटली को पछाड़कर 5वें नंबर पर पहुंच गया है। वेबसाइट worldometers के मुताबिक, शुक्रवार सुबह तक भारत में कोरोना से 35 हजार 786 लोगों की मौत हो चुकी है। कोरोना से मौतों के मामले में सबसे आगे अमेरिका (1 लाख 54 हजार 963), ब्राजील (91 हजार 263), ब्रिटेन (45 हजार 999) और फिर मेक्सिको (45 हजार 361) है। इटली में 35 हजार 132 मौतें हुई हैं।

5 राज्यों का हाल
मध्य प्रदेश: राज्य में जून की अपेक्षा जुलाई में संक्रमण की रफ्तार तीन गुना से ज्यादा हो गई है। प्रदेश में 1 जून से 30 जून के बीच कोरोना के 5592 पॉजिटिव मरीज मिले थे। जबकि जुलाई में 30 दिन में कोरोना के 17315 मरीज मिले हैं। ये बीते महीने की तुलना में तीन गुना से ज्यादा हैं।

भोपाल में इस दौरान ढाई गुना मरीज बढ़े हैं। 30 जून तक यहां 3029 मरीज थे, इनमें 1432 मरीज केवल जून महीने में मिले थे। जबकि जुलाई में 3587 पॉजिटिव मिले हैं।

राज्य सरकार ने 31 अगस्त तक राज्य में सभी सरकारी और निजी स्कूलों को बंद रखने के आदेश जारी किए हैं। वहीं, राज्य के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा, 'कोरोना संकट के कारण प्राइवेट स्कूल छात्रों से ट्यूशन फीस के अलावा अन्य फीस नहीं लेंगे। शिक्षा विभाग यह सुनिश्चित करेगा कि यदि माता-पिता फीस देने में सक्षम नहीं हैं, तो उनके बच्चे का नाम किसी भी परिस्थिति में स्कूल से नहीं हटाया जाए।'

महाराष्ट्र: सरकार ने राज्य में लॉकडाउन 31 अगस्त तक बढ़ा दिया। उधर, गुरुवार को राज्य में रिकॉर्ड 11 हजार 147 लोग पॉजिटिव मिले। इसी के साथ अब संक्रमितों का आंकड़ा 4 लाख 11 हजार 798 हो गया है।

राजस्थान: प्रदेश में एक सितंबर से सभी धार्मिक स्थल आम लोगों के लिए खुल जाएंगे। सरकार ने इनसे कहा है कि अभी से सोशल डिस्टेंसिंग और हेल्थ प्रोटोकॉल के साथ धार्मिक स्थलों को खोले जाने के लिए तैयारी शुरू करें।

एक माह में प्रदेश में सबसे ज्यादा 3898 नए रोगी जोधपुर में आए। 30 जून को जोधपुर में 2793 रोगी थे जो अब 6691 हो गए। पिछले एक माह में अलवर में 3283 रोगी बढ़े, यह एक माह में रोगियों में 625% बढ़ोतरी है। 30 जून को अलवर में कुल संक्रमित 525 थे जो अब 3807 हो गए हैं। जयपुर में एक माह पहले 3318 रोगी थे जो अब 5255 हो गए। कुल 1937 की बढ़ोतरी।

बिहार: राज्य में गुरुवार को कोरोना सैंपल जांच की संख्या 20 हजार को पार कर गई। अब तक एक दिन में रिकॉर्ड 20801 सैंपल की जांच की गई। बुधवार की तुलना में जांच की संख्या में तीन हजार का इजाफा हुआ है। बुधवार को कुल 17794 सैंपल की जांच हुई थी।

राज्य में 30 जून तक कुल 2 लाख 20 हजार 890 कोरोना टेस्ट हुए, जबकि जुलाई महीने में गुरुवार तक कुल 3 लाख 4 हजार 540 टेस्ट हुए। आंकड़े बताते हैं कि राज्य में अब तक हुए कुल टेस्ट 5 लाख 25 हजार 430 का 58% हिस्सा, यानी टेस्ट जुलाई महीने में ही हुआ।

उत्तर प्रदेश: राज्य में पिछले 24 घंटे के दौरान कोरोनावायरस के 3705 नए मामले सामने आए हैं। नए मरीजों के बढ़ने की ये अब तक की सबसे बड़ी संख्या है। राज्य में अब 32,649 एक्टिव केस हैं। जबकि, 46,803 लोग ठीक होकर घर जा चुके हैं।



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यह तस्वीर दिल्ली की है। गुरुवार को यहां 19 हजार से ज्यादा लोगों के सैंपल लिए गए। एक हजार से ज्यादा केस आए। कोरोना की वजह से 93 लोगों ने दम तोड़ा।


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सुशांत की मौत की सीबीआई जांच नहीं होगी, राजस्थान में वीडियो से बवाल; इन 5 राशि वालों को आज थोड़ा संभलकर रहना होगा

तारीख है 31 जुलाई और दिन है शुक्रवार का। अगर कोरोनावायरस नहीं आया होता, तो आज नई फिल्म रिलीज होती। खैर, आज हॉटस्टार पर कुणाल खेमू और रसिका दुग्गल की लूटकेस फिल्म रिलीज होगी। ये कॉमेडी फिल्म है। कोरोना के टाइम में तो देख ही सकते हैं। ये तो हो गई फिल्म की बात। अब जल्दी से कुछ खबरों से भी गुजर लेते हैं।

1. अयोध्या में क्या चल रहा है?
राम मंदिर निर्माण के लिए 5 अगस्त को भूमि पूजन होना है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इसमें शामिल होंगे। लेकिन, पूजन होता, उससे पहले ही यहां कोरोना पहुंच गया है।

खबर आई है कि रामलला मंदिर के प्रधान पुजारी आचार्य सतेंद्र दास के शिष्य प्रदीप दास कोरोना संक्रमित हो गए हैं। प्रदीप दास रामलला मंदिर के सहायक पुजारी भी हैं। सिर्फ पुजारी ही नहीं, बल्कि राम जन्मभूमि में तैनात 16 पुलिसवालों के भी कोरोना पॉजिटिव होने की खबर है।

हालांकि, पुजारी और पुलिसवालों के कोरोना पॉजिटिव होने की बात यहां के सीडीओ प्रथमेश कुमार खारिज कर चुके हैं।

2. राजस्थान के बवाल में नया क्या?
अब बात राजस्थान की। 20 दिन से ज्यादा हो गए, लेकिन यहां का बवाल शांत होता नहीं दिख रहा है। या तो सरकार गिरेगी? या तो बचेगी? तभी शांत होगा। खैर, इस घमासान के बीच राजस्थान विधानसभा के स्पीकर सीपी जोशी का एक वीडियो वायरल हो रहा है। इस वीडियो में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बेटे वैभव गहलोत भी हैं। असल में ये वीडियो दोनों की बातचीत का है।

इस वायरल वीडियो में स्पीकर सीपी जोशी मुख्यमंत्री के बेटे वैभव से कह रहे हैं 'मामला टफ हो गया है।' फिर वैभव कहते हैं 'राज्यसभा के वक्त ही खबरें आ गई थीं। जिस तरह से माहौल खराब हो रहा है। इन्होंने 10 दिन राज्यसभा चुनाव के निकाले, फिर वापस।'

वैभव को सीपी जोशी जवाब देते हैं '30 आदमी निकल जाते हैं, तो आप कुछ नहीं कर सकते। हल्ला करते रहते। वो सरकार गिरा देते। अपने हिसाब से उन्होंने कॉन्टैक्ट करके करवा लिया है। बाकी दूसरे के बस की बात नहीं है।'

3. सुशांत की मौत का मामला कहां तक पहुंचा?
सुशांत सिंह राजपूत की मौत को डेढ़ महीने से ज्यादा हो गए और हर दिन इस मामले में कुछ न कुछ नया मोड़ आ ही रहा है। अब सुप्रीम कोर्ट ने सुशांत की मौत की सीबीआई जांच कराने से साफ इनकार कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट में अल्का प्रिया ने पीआईएल लगाई थी और मांग की थी कि इसकी जांच सीबीआई करे। लेकिन, सुप्रीम कोर्ट ने भी कह दिया कि पुलिस को उनका काम करने दीजिए।

उससे पहले महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख ने भी कहा कि इस मामले की सीबीआई जांच की जरूरत नहीं है। मुंबई पुलिस इसकी जांच में सक्षम है।

उधर सुशांत के पिता केके सिंह का कहना है कि उन्हें मुंबई में हो रही जांच पर भरोसा नहीं है। इसलिए वो चाहते हैं कि पटना पुलिस भी मामले की जांच करे।

कहा तो ये भी जा रहा है कि सुशांत ने मुंबई में आत्महत्या की थी। ऐसे में पटना में जो एफआईआर दर्ज हुई, वो जीरो एफआईआर मानी जाएगी और जांच मुंबई पुलिस ही करेगी।

4. मणिपुर में असम राइफल्स पर किसने हमला किया?
ये खबर बुरी है। दरअसल, 29 जुलाई की शाम पौन 7 बजे मणिपुर में असम राइफल्स के जवानों पर हमला हुआ। इस हमले में 3 जवान शहीद हो गए। 5 जख्मी भी हुए हैं, जिन्हें सेना के अस्पताल में भर्ती किया गया है।

ये हमला जहां हुआ है, वो जगह भारत-म्यांमार सीमा से बस 3 किमी दूर है। हमला खोंगताल में हुआ, जो मणिपुर के चंदेल जिले में पड़ता है। अब जो पता चला है, वो ये कि असम राइफल्स के 13 जवानों की टुकड़ी अपनी पोस्ट पर लौट रही थी। रास्ते में आईईडी ब्लास्ट हो गया। इसके बाद घात लगाकर बैठे उग्रवादियों ने फायरिंग कर दी।

ये हमला किसने किया? अभी तक पता नहीं चला है। हालांकि, शक है कि इस हमले के पीछे मणिपुर का लोकल्स ग्रुप पीपुल्स लिबरेशन आर्मी का हाथ हो सकता है।

5. कब होगी नेशनल स्पोर्ट्स अवॉर्ड सेरेमनी?
कोरोनावायरस का असर खेलों पर तो पड़ा और अब अवॉर्ड सेरेमनी पर भी पड़ने वाला है। एक खबर आई है कि इस साल 29 अगस्त को जो नेशनल स्पोर्ट्स अवॉर्ड सेरेमनी होनी थी, उसकी तारीख कोरोना की वजह से एक या दो महीने आगे बढ़ सकती है। हालांकि, राष्ट्रपति भवन की तरफ से अभी जवाब आना बाकी है।

29 अगस्त को हॉकी के खिलाड़ी मेजर ध्यानचंद की जयंती है। इसी दिन राष्ट्रीय खेल दिवस भी होता है। इसलिए इस दिन राष्ट्रपति राजीव गांधी खेल रत्न, अर्जुन, द्रोणाचार्य और ध्यानचंद अवॉर्ड देते हैं। ये सेरेमनी भी राष्ट्रपति भवन में ही होती है।

6. कैसा होगा आज का दिन?
जाते-जाते सबसे जरूरी बात कि आज का राशिफल क्या कहता है? तो आज शुक्रवार को ज्येष्ठा नक्षत्र में चंद्रमा होने से चर और इंद्र नाम के दो शुभ योग बन रहे हैं। इनका असर मेष, वृषभ, सिंह, वृश्चिक, मकर, कुंभ और मीन राशि वाले लोगों पर पड़ेगा। इसका फायदा भी है। इन 7 राशि वाले लोगों को जॉब और बिजनेस में आगे बढ़ने के मौके मिल सकते हैं।

लेकिन, अगर आपकी राशि मिथुन, कर्क, कन्या, तुला या धनु है, तो आपको आज थोड़ा संभलकर रहना होगा। क्योंकि इन 5 राशि वालों के कामकाज में रुकावटें आने की आशंका है।



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रिलायंस को कहां से हो रही है कमाई? जियो का मुनाफा कितना बढ़ा? रिटेल में क्या करने जा रहे हैं अंबानी?

मुकेश अंबानी के नेतृत्व वाली कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (आरआईएल) ने गुरुवार को वित्त वर्ष 2021 की पहली तिमाही के नतीजे घोषित किए। अप्रैल से जून के बीच कंपनी का रेवेन्यू एक लाख 929 करोड़ रुपए रहा। जियो का मुनाफा पिछले साल के मुकाबले तीन गुना बढ़ गया। लॉकडाउन के कारण कंपनी के रिटेल बिजनेस को सबसे ज्यादा नुकसान उठाना पड़ा।

कंपनी के 50% स्टोर पूरी तरह बंद रहे। 29% थोड़े दिन खुल सके। लेकिन, जियो मार्ट के जरिए रिलायंस रिटेल बिजनेस में एक और कदम उठाया। इसका फायदा उसे लॉकडाउन में हुआ। लॉकडाउन के शुरुआत में ही जियोमार्ट के डेली ऑर्डर 4 गुना बढ़ गए।

कंपनी को कमाई कहां से हुई?

तीस साल में पहली बार आरआईएल ने डिसइन्वेस्टमेंट किया। कोरोनाकाल में उसके टेलीकॉम बिजनेस में भारी तेजी आई। इसका असर ये हुआ कि इस तिमाही में कंपनी का नेट प्रॉफिट 10 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा का रहा।

जियो से कितना फायदा बढ़ा?

जियो ने रिलायंस को सभी बिजनेस वर्टिकल्स में उम्मीद से बढ़कर कमाई करके दी। उसने लॉकडाउन के दौरान भी देशभर में 9.9 मिलियन कस्टमर जोड़े। कंपनी ने कहा, "पूरे देश में लॉकडाउन था और इस वजह से इस दौरान कंपनी के साथ कस्टमर एंगेजमेंट बढ़ा। प्रति यूजर प्रति माह 12.1 जीबी डेटा कंजम्प्शन हुआ, वहीं औसत वॉइस कंजम्प्शन 756 मिनट प्रति यूजर प्रति माह हुआ।'

जियो का नेट प्रॉफिट अप्रैल से जून के दौरान 182.8 फीसदी बढ़ा। एक साल पहले जियो से कंपनी को 891 करोड़ का नेट प्रॉफिट हुआ था। जो इस बार बढ़कर 2,520 करोड़ रुपए हो गया। जियो का ईयर-ऑन-ईयर नेट प्रॉफिट, रिलायंस के एक्सपेक्टेशनल गेन का 55% है।

रिटेल में और क्या करने जा रहे हैं अंबानी?

रिलायंस के रिटेल बिजनेस पर लॉकडाउन का असर पड़ा। उसका रेवेन्यू 17% गिर गया। अप्रैल से जून के दौरान कंपनी ने कुल 31,633 करोड़ रुपए का रेवेन्यू जनरेट किया। देशभर में रिलायंस रिटेल के 11,800 आउटलेट हैं। लॉकडाउन के चलते इनमें से करीब 80% या तो पूरी तरह या फिर कुछ हद तक बंद रहे। इसके चलते कंपनी का ऑपरेटिंग प्रॉफिट यानी इनकम टैक्स और इंटरेस्ट का खर्च घटाने से पहले का प्रॉफिट करीब 60% घटकर 722 करोड़ रुपए रह गया।

इसकी कुछ हद तक भरपाई कंपनी ने अपने जियो मार्ट प्लेटफॉर्म से की। इसके जरिए उसने एक दिन में 4 लाख तक ऑर्डर डिलीवर किए। हालांकि, कंपनी ने जियो मार्ट की शुरुआत मई के अंत में की। इसके जरिए कंपनी देश के 200 शहरों में ऑनलाइन ग्रॉसरी शॉपिंग की फैसेलिटी दे रही है।

जल्द ही ग्रॉसरी के अलावा इलेक्ट्रॉनिक्स, फैशन, हेल्थकेयर और फार्मा प्रॉडक्ट भी मिलने लगेंगे। जियो मार्ट की टक्कर अमेजन पैन्ट्री, बिग बास्केट, ग्रोफर्स और फ्लिप-कार्ट सुपरमार्केट से है।

फ्यूचर ग्रुप के रिटेल कारोबार खरीद सकती है रिलायंस

फ्यूचर ग्रुप के रिटेल सेगमेंट में बिग बाजार जैसे बड़े ब्रांड शामिल हैं। इसके अलावा फूडहॉल, नीलगिरीज, एफबीबी, सेंट्रल, हेरिटेज फूड्स और ब्रांड फैक्ट्री भी रिटेल सेगमेंट में आते हैं। रिलायंस रिटेल की डील होती है तो फ्यूचर ग्रुप के करीब 1700 रिटेल स्टोर भी रिलायंस रिटेल के पास चले जाएंगे। लाइव मिंट की रिपोर्ट के मुताबिक, रिलायंस रिटेल 24,000 करोड़ से 27,000 करोड़ रुपए में फ्यूचर रिटेल को खरीद सकती है।

पेट्रोकेमिकल बिजनेस का क्या हुआ?

तेल और गैस बिजनेस में पिछले साल की समान अवधि के आधार पर 45.2 प्रतिशत की कमी आई और वह महज 506 करोड़ रुपए रह गया। साल-दर-साल आधार पर ईबीआईटीडीए 207 करोड़ रुपए से घटकर 32 करोड़ रुपए रह गया।

जब बिजनेस चला ही नहीं तो लाभ कैसे?

कंपनी ने कहा कि उसे 4,966 करोड़ रुपए यानी करीब पांच हजार करोड़ रुपए का असाधारण लाभ हुआ। यह रिलायंस बीपी मोबिलिटी सर्विसेस के शेयर बेचने से हुआ। आरआईएल ने अपने फ्यूल रिटेलिंग बिजनेस में 49 प्रतिशत हिस्सेदारी को बीपी को 7,629 करोड़ रुपए में बेचा। इस पर 1,508 करोड़ रुपए का टैक्स चुकाया, जिससे वन-टाइम गेन के रूप में 4,966 करोड़ रुपए प्राप्त हुए।

10 से 50 प्रतिशत तक सैलरी काटी, इससे क्या बचा?

रिलायंस इंडस्ट्रीज ने हाइड्रोकार्बन बिजनेस में कर्मचारियों की सेलरी में 10 प्रतिशत की कटौती की घोषणा की थी। यह सालभर में करीब 600 करोड़ रुपए की बचत कंपनी के लिए करता है। कंपनी ने 15 लाख रुपए से ज्यादा वार्षिक आय वाले कर्मचारियों के वेतन में कटौती की थी। सीनियर एक्जीक्यूटिव्स और बोर्ड सदस्यों की सेलरी में 30 से 50 प्रतिशत की कटौती की है।

इसके अलावा मुकेश अंबानी ने अपनी 15 करोड़ रुपए की सालाना सेलरी में से इस बार एक रुपया भी नहीं लेने का फैसला किया है। जब सेलरी कटौती की बात आई थी तो ज्यादातर एनालिस्ट ने आश्चर्य जताया था। इससे कंपनी को 50 करोड़ रुपए की मासिक बचत हो रही है। आरआईएल ने 2019-20 में 6.6 लाख करोड़ रुपए का रेवेन्यू कमाया।

कंसोलिडेट्स लेवल पर रिलायंस जियो और रिलायंस रिटेल में इस साल कर्मचारियों पर खर्च 14,075 करोड़ रुपए है जो 2019-20 में 12,488 करोड़ रुपए था।

एनालिस्ट क्या कह रहे हैं?

शेयरखान के अभिजीत बोरा ने कहा कि नतीजे उम्मीद के अनुसार ही रहे। लॉकडाउन की वजह से रिफाइनरी और पेट्रोकेमिकल उत्पादन प्रभावित हुआ है। इसके बाद भी जियो के मुकाबले रिलायंस रिटेल का कारोबार मंदा रहा।

विलियम ओ'नील के मयुरेश जोशी ने कहा, लॉकडाउन का असर पेट्रोकेमिकल बिजनेस पर दिखा। इसके बाद भी पेट्रोकेमिकल बिजनेस की मार्जिन उम्मीद से बेहतर है। जियो ने सरप्राइज किया। एचडीएफसी सिक्योरिटीज के दीपक जसानी ने कहा कि रिफाइनिंग सेग्मेंट में खराब प्रदर्शन की वजह से टॉप-लाइन परफॉर्मेंस कमजोर रहा।



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2100 तक भारत में लोगों की संख्या घटकर 109 करोड़ रह जाएगी, सबसे अधिक आबादी वाले चीन में 80 साल बाद जनसंख्या आधी हो जाएगी

हाल ही में जारी की गई लैंसेट की रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनिया की आबादी 2064 में पीक पर होगी। इसके बाद ये घटने लगेगी। इससे पहले यूएन ने 2100 में इसके पीक पर पहुंचने का अनुमान लगाया था। रिपोर्ट के मुताबिक 2064 में दुनिया की आबादी 973 करोड़ हो जाएगी। 2100 तक ये घटकर 879 रह जाएगी। भारत दुनिया की सबसे ज्यादा आबादी वाला देश होगा। लेकिन, उसकी आबादी 2048 के बाद घटने लगेगी।

इस ग्लोबल पॉपुलेशन प्रोजेक्शन रिपोर्ट में आने वाले 80 सालों में दुनिया की आबादी के बारे में कई तरह के फैक्ट्स हैं। जैसे- आने वाले 80 साल बाद भारत और दुनिया के अन्य देशों की आबादी कितनी होगी। कब तक बढ़ेगी और कब से घटेगी? किन देशों की आबादी तेजी से घटेगी? कौन से देश ऐसे हैं जिनकी आबादी आज की आबादी से आधी रह जाएगी?

ग्लोबल फर्टीलिटी रेट 2100 तक घटकर 1.66 हो जाएगा। भारत समेत दुनिया के उन देशों में फर्टिलिटी रेट 70% तक कम होगा जिनकी आबादी ज्यादा है। 2100 भारत की फर्टिलिटी रेट में 68% तक घट जाएगा। 138 करोड़ आबादी वाले देश भारत में 2100 तक 28% लोग कम हो जाएंगे।

सबसे ज्यादा आबादी वाले देशों में शामिल रूस, जापान, ब्राजील 2100 तक टॉप टेन से बाहर हो जाएंगे

21 करोड़ आबादी वाला देश ब्राजील आबादी के लिहाज से इस वक्त दुनिया का 6वां सबसे बड़ा देश है। 2100 में इसकी आबादी घटकर 16.5 करोड़ रह जाएगी। जापान की आबादी 80 साल में आधी से कम हो 6 करोड़ हो जाएगी और वो दुनिया में 38वें नंबर पर आ जाएगा। 2017 के बाद से रूस और जापान की आबादी लगातार घट रही है।


पाकिस्तान को छोड़कर दक्षिण एशिया के हर देश की आबादी घटेगी

2100 में पाकिस्तान को छोड़कर दक्षिण एशिया के सभी देशों की आबादी आज के मुकाबले कम होगी। भारत की आबादी आज के मुकाबले करीब 21% कम होगी तो बांग्‍लादेश में आज के मुकाबले आधे लोग रह जाएंगे। वहीं, पाकिस्तान की आबादी 80 साल बाद 16% बढ़ेगी। हालांकि, वहां पीक 2062 में आएगा। जब वहां आज के मुकाबले करीब 47% ज्यादा आबादी होगी।

2100 तक चीन की आबादी लगभग आधी हो जाएगी। भारत की आबादी 32% घटेगी। बांग्लादेश की आबादी भी करीब आधी हो जाएगी। जबकि इंडोनेशिया आबादी मामूली घटेगी। तो पाकिस्तान की बढ़ेगी। इसके बाद भी बांग्लादेश को छोड़कर, एशिया के इन पांच देशों में से चार देश विश्व के सबसे ज्यादा आबादी वाले दस देशों में अभी की तरह बने रहेंगे। पाकिस्तान इंडोनेशिया से ऊपर चला जाएगा, लेकिन एशिया के सबसे ज्यादा आबादी वाले पांच देशों की लिस्ट में कोई बदलाव नहीं होगा।


2017 में दुनिया के सबसे ज्यादा आबादी वाले 10 देशों में से चार देश जापान, रूस, बांग्लादेश, और ब्राजील 2100 में टॉप 10 से बाहर हो जाएंगे। 2100 में इनकी जगह, तंजानिया, मिस्र, इथोपिया और कांगो दुनिया के सबसे ज्यादा आबादी वाले दस देशों में होंगे। अभी कांगो की आबादी 8 करोड़ 80 लाख है। वो आबादी के लिहाज से 18वें नंबर पर है।

इथोपिया की आबादी अभी 10 करोड़ 2 लाख है जो दुनिया में 13 वें नंबर पर है,मिस्र की आबादी अभी 9 करोड़ 60 लाख है जो कि दुनिया में 14वें नंबर पर है और तंजानिया की आबादी 5 करोड़ 30 लाख है जो दुनिया में 24वें नंबर पर है। मिस्र को छोड़कर बाकी तीन देश अफ्रीका से हैं।


वर्किंग एज पॉपुलेशन मतलब 20-64 साल के उम्र के लोगों की आबादी। 2100 में भारत वर्किंग एज पॉपुलेशन में भी दुनिया में नंबर एक पर होगा। चीन की वर्किंग एज पॉपुलेशन करीब 70% घटेगी लेकिन चीन की जनसंख्या ज्यादा होने के कारण, वह 2100 में भी दुनिया में दूसरे नंबर पर बना रहेगा।

नोट- 2017 में चाइल्ड एज पॉपुलेशन और वर्किंग एज पॉपुलेशन को वर्ल्ड बैंक के मुताबिक है। जो 0-14 और 15-64 होती है। लैंटस की रिपोर्ट में इसे 0-19 और 20-65 लिया गया है। 2017 की तुलना में 2100 के प्रोजेक्शन के अंतर में थोड़ा बदलाव हो सकता है।

पहले भी रिसर्च में देखा गया है कि हर शताब्दी में, हर देश के सामने दो बार उतार-चढ़ाव आते हैं। एक बार आबादी घटती है जबकि एक ही शताब्दी में दूसरी बार आबादी बढ़ती है। जिस साल में सबसे ज्यादा होती है उसे पीक ईयर पॉपुलेशन कहा जाता है। चीन में सबसे ज्यादा आबादी अभी के दशक में बढ़ रही है।

जापान में पीक ईयर 2017 में था, स्पेन और थाईलैंड भी पीक ईयर क्रॉस कर चुके हैं। अब इस प्वाइंट से आबादी घटेगी। ग्लोबल लाइफ एक्सपेक्टेंसी 70-80 साल की होती है, इसीलिए आने वाले 50 साल से 80 साल तक इन सभी देशों में नेचुरल डेथ रेट पीक पर होगा और 2100 तक आबादी आधी हो जाएगी



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World (India) Population Projections 2100 Update | What Will Be World and India Population Be In 2100? Everything Thing You Need To Know In Latest Research


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नॉन वेज और वेज भोजन के लिए करें अलग बर्तनों का इस्तेमाल; जानिए ऐसी कई अहम बातें, जिनका ध्यान रखना बेहद जरूरी

भोजन हमारी सबसे पहली जरूरत है, यह हमारे शरीर के लिए ईंधन की तरह है। अब इस महामारी के दौर में हमें इस काम में भी खासी सावधानी की जरूरत है। फिलहाल खाने की वजह से कोरोनावायरस से संक्रमित होने का कोई मामला सामने नहीं आया है। इसके बावजूद फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (FSSAI) के अनुसार, खाने की और पैकिंग की सतह से वायरस फैल सकता है। हालांकि हम इस मुश्किल को भी साफ-सफाई की आदत से टाल सकते हैं।

बाहर खरीददारी करने जाएं तो इन 5बातों का रखें ध्यान-

  1. जरूरी होने पर ही किराना खरीदने के लिए घर से बाहर निकलें। इस दौरान साफ मास्क-ग्लव्ज पहनें और 70% एल्कोहल वाला सैनिटाइजर अपने साथ रखें।
  2. अपना खुद का शॉपिंग बैग साथ लेकर जाएं और पहले से ही शॉपिंग लिस्ट तैयार रखें। कम भीड़ वाले स्टोर्स पर जाने की कोशिश करें।
  3. कोशिश करें कि एक ही स्टोर से सारा सामान खरीद लें। अपनी जरूरत के हिसाब से ही खरीदी करें। जरूरत से ज्यादा खरीदी करने से सामान की कमी होगी और गैर जरूरी मांग बढ़ेगी।
  4. कम भीड़ वाले वक्त में ही शॉपिंग करने जाएं। अगर बीमार महसूस कर रहे हैं या किसी तरह के लक्षण नजर आ रहे हैं तो बाहर न निकलें।
  5. अपने साथ मोबाइल, क्रेडिट/डेबिट कार्ड साथ रखें, ताकि आप कैशलेस पेमेंट कर पाएं। महामारी के दौरान नगदी के बजाए डिजिटल पेमेंट को प्राथमिकता दें।

दुकान के अंदर भी पांच सावधानियों का ध्यान रखें-

  1. बिल काउंटर, दुकान के अंदर जाने की बारी या सामान उठाने के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें।
  2. केवल उन्हीं प्रोडक्ट्स को छुएं जो आप खरीदने वाले हैं। हैंडल, काउंटर जैसी लगातार छूने में आने वाली सतहों को टच करने से बचें। अगर छू लिया है तो ध्यान से हाथों को सैनिटाइज करें।
  3. अपने चेहरे, आंखों और नाक को न छुएं। अगर बहुत जरूरी है तो साफ टिश्यू पेपर का इस्तेमाल करें और उपयोग के तुरंत बाद डिस्पोज कर दें।
  4. स्टोर के अंदर बास्केट या कार्ट के हैंडल को सैनिटाइजर करें। अगर ऐसा संभव नहीं है तो इस्तेमाल के बाद अपने हाथों को सैनिटाइज करें।
  5. खरीदी गई चीजों को बाजार से लाते वक्त अपने शरीर से दूर रखें। सामान को अपने शॉपिंग बैग या बास्केट में रखें।

घर पहुंचने के बाद जूतों को बाहर रखें और मोबाइल फोन सैनिटाइज करें

  • बाजार से लौटने के बाद भी घर में सावधानियां रखना बहुत जरूरी हो जाता है। सबसे पहले अपने जूतों को घर के अंदर जाने से पहले बाहर ही उतार दें और तुरंत हाथों को साफ करें। चाबियों और मोबाइल फोन को सैनिटाइज करें।
  • बाजार से खरीदे हुए फूड पैकेट्स को अल्कोहल सॉल्यूशन या साबुन और साफ पानी से साफ करें। अगर पैकेट ने किसी सतह को छुआ है तो उस सतह को भी सैनिटाइजिंग वाइप या सॉल्यूशन की मदद से साफ करें।

कॉन्टैक्ट लैस हो फूड डिलिवरी

  • अपने घर से दूर दूसरे शहरों में रहने वाले लोगों को कई बार बाहर से खाना ऑर्डर करना जरूरी हो जाता है। ऐसे में अगर आप फूड ऑर्डर कर रहे हैं तो हैंडलिंग को लेकर सावधानी रखें, क्योंकि पैकेजिंग की सतह पर कोरोनावायरस हो सकता है।
  • ऑर्डर रिसीव करने दौरान हो सके तो कॉन्टैक्ट लैस डिलीवरी लें। इसमें डिलीवरी बॉय पैकेट को गेट पर रखकर आपको फोन पर सूचित कर देगा। अगर ऐसा मुमकिन नहीं है तो कम से कम 1 मीटर की दूरी बनाकर रखें और डिजिटल पेमेंट को प्राथमिकता दें।
  • रेस्टोरेंट्स और डिलीवरी सर्विसेज अपनी जगहों पर साफ-सफाई का खासा ध्यान रख रहे हैं, लेकिन इसके बाद भी सुरक्षा को लेकर हमारा सतर्क रहना बहुत जरूरी है।

वेज-नॉनवेज के लिए अलग-अलग चाकू और बर्तनों का इस्तेमाल करें
खाना बनाने के दौरान भी हमें अपनी और बर्तनों की साफ-सफाई का खासा ख्याल रखना चाहिए। इससे संक्रमण और दूसरी खाने से संबंधित परेशानियों को कम करने में मदद मिलती है। पकाने के दौरान सभी खाने की चीजों को ठीक तरह से कवर कर रखना चाहिए। इसके अलावा वेज-नॉनवेज खाने के लिए अलग-अलग बर्तनों और दूसरी चीजों का इस्तेमाल करें।

  • अगर खाना बनाने या सर्व करने वाले किसी व्यक्ति को फ्लू जैसे लक्षण नजर आ रहे हैं तो उन्हें काम करने से बचना चाहिए। खाना बनाने के दौरान साफ-सफाई का सबसे ज्यादा ख्याल रखें।
  • खाना बनाने के लिए साफ चाकू, चॉपिंग बोर्ड्स, प्लेट्स आदि का इस्तेमाल करें। वेज-नॉनवेज को पकाने या रखने के लिए भी अलग-अलग बर्तनों का इस्तेमाल करें।
  • अगर ऐसा मुमकिन नहीं है तो वेज-नॉनवेज पर उपयोग किए गए चाकू और बर्तनों को फल और सब्जियों पर इस्तेमाल से पहले धो लें।
  • नॉनवेज से वेज भोजन की तरफ शिफ्ट करने से पहले भी अपने हाथों को कम से कम 40-60 सेकंड्स तक साबुन और पानी से धोएं।
  • फ्रोजन फूड को रेफ्रिजरेटर में 40 सेल्सियस से कम या पैकेट में रहते हुए बहते ठंडे पानी में डिफ्रॉस्ट करना चाहिए। मसालेदार बनाई जाने वाली चीजों को भी फ्रिज में रखना चाहिए।
  • अगर सलाद बना रहे हैं तो सब्जियों और फलों को उपयोग से पहले पानी में ठीक तरह से धो लें। आप इसके लिए 50ppm क्लोरीन का भी इस्तेमाल कर सकते हैं।
  • खाना पकने के दौरान टेस्ट जानने के लिए उंगलियों या हाथ का इस्तेमाल करने से बचें। अगर चम्मच से टेस्ट ले रहे हैं तो ध्यान रखें कि उनका दोबारा उपयोग न हो। नमक, कैचअप आदि के कंटेनर्स को रोज साफ करें।
  • तेल को दोबारा गर्म न करें और इसके उपयोग से भी बचें। हर बार ताजा तेल इस्तेमाल करें। महामारी के दौरान खाना, चम्मच, प्लेट जैसी चीजों को शेयर करने से बचें। खाना परोसने और खाने से पहले 40-60 सेकंड तक हाथों को ठीक तरह से धोएं।

खास भोजन और न्यूट्रिएंट्स हमारे इम्यून सिस्टम और अच्छे स्वास्थ्य के लिए जरूरी हैं
इम्यून सिस्टम को बेहतर काम करने के लिए संतुलन और सामंजस्य की जरूरत होती है। बेहतर न्यूट्रिएंट्स हमारे इम्यून सिस्टम (इन-नेट और एडोप्टिव इम्युनिटी) को मजबूत करते हैं। कोई भी एक खाना, मसाले या हर्ब बीमारी का इलाज नहीं करते हैं। ऐसे में भोजन में खास तरह के न्यूट्रिएंट्स को शामिल करने अच्छा उपाय है। विटामिन A, B, C, D, E मिनरल्स जैसे- जिंक, सेलेनियम, आयरन, कॉपर, अमीनो एसिड, ओमेगा 3 फैटी एसिड हमारे इम्यून सिस्टम के लिए जरूरी न्यूट्रिएंट्स हैं।



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Use different utensils for non-veg and veg food, keep fruits and vegetables in a separate place for 4 hours after purchasing.


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किसी को शिकायत विहिप ने पलटकर नहीं पूछा, किसी का बेटा कारसेवकपुरम में नौकरी करता है

30 अक्टूबर 1990..."रामलला हम आएंगे, मंदिर यहीं बनाएंगे" के नारों से अयोध्या गूंज रही थी। सड़क पर या तो भगवा पहने कारसेवक थे या संगीनों के साथ खाकी वर्दी पहने पुलिस वाले। बाबरी मस्जिद के डेढ़ किमी के दायरे को पुलिस ने बैरिकेट कर रखा था। कहीं से भी कोई आवाजाही नहीं थी। घर की छतों पर पुलिस तैनात थी। लेकिन, कारसेवक रामलला तक पहुंचने के लिए अड़े हुए थे।

हजारों की संख्या में जब कारसेवक हनुमान गढ़ी के आगे गलियों से होते हुए राम जन्मभूमि की ओर बढ़े तो सुरक्षाकर्मियों ने गोली चला दी। ये गोली तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव के आदेश पर चलाई गई थी। गोली की वजह से अयोध्या के रहने वाले 5 कारसेवकों की मौत हो गयी।

यह सभी गरीब परिवारों से थे। कोई टोकरी बनाता था तो कोई रिक्शा चलाता था। अब 2020 में अयोध्या में मारे गए उन 5 कारसेवकों में से 3 के परिवार रहते है। उनसे मिलकर हमने उनका हाल जाना।

पहली कहानी: घर गिरवी रखा है, बच्चों की फीस भरने का भी पैसा नही है
अयोध्या के कजियाना मोहल्ले में राजेन्द्र धनकार का घर है। घर के सामने थोड़ी सी जमीन है, जिसमें बड़ा सा पेड़ है। और पीछे घर है। घर की चौड़ाई लगभग 40 फिट होगी लेकिन, अंदर से घर थोड़ा छोटा है। सामने ही राजेन्द्र के छोटे भाई रविन्द्र मिले।

बातचीत में उन्होंने बताया कि उस समय मेरी उम्र 8 या 10 साल रही होगी। 30 अक्टूबर 1990 से कुछ दिन पहले ही कारसेवक अयोध्या पहुंच रहे थे। 30 अक्टूबर को सुबह 7 से 8 बजे का समय था। कुछ लोग भीड़ के साथ जयश्री राम के नारे लगाते हुए आये और भैया को बुलाया। उस समय भाई की उम्र 16 या 17 साल रही होगी।

राजेंद्र 17 साल के थे, जब आंदोलन हुआ था। नारे लगाते हुए भीड़ के साथ निकल गए थे।

उन्होंने भी माथे पर भगवा लपेटा और नारे लगाते हुए निकल गए। मैं भी उनके पीछे भागा, लेकिन मां ने मुझे रोक लिया तो मैं वापस आ गया। बाद में पता चला कि गोली चल गई है। फिर उस समय विहिप ने 1 लाख रुपए की मदद की थी। हालांकि, पिता जी ने किसी के कहने पर उस समय किसी चिटफंड कंपनी में पैसे लगा दिए और वह कंपनी भी भाग गई।

चूंकि, हम लोगों की आर्थिक स्थिति पहले भी बहुत अच्छी नही थी। बांस की टोकरी वगैरह ही बनाने का काम था तो वही चल रहा था। अभी 10 साल हुआ माता जी को गुजरे हुए। पिता को पैरालिसिस का अटैक हुआ तो इलाज में काफी पैसे खर्च हुए। कर्ज लेने के लिए 4 कमरों का घर गिरवी रखना पड़ा।

उस घर में 3 किरायेदार रख रखे हैं। 300 रुपये कमरे का किराया है। एक कमरे की छत टूटने को है तो उसे किराए पर नही उठाया है। जिस कमरे में मैं रहता हूँ, दस साल से ज्यादा हुआ पुताई नहीं करवा पाया हूँ। कमरे में ही खाना बनता है इसलिए छत और दीवार काली पड़ गयी है।

रविन्द्र की पत्नी सोनी कहती है कि हमारे छह बच्चे हैं। 2 लड़कियां 8वीं पास कर चुकी हैं तो एक प्राइवेट स्कूल में नाम लिखा दिया, लेकिन लॉकडाउन की वजह से किरायेदार भी भाग गए और टोकरी वगैरह भी बिकनी बन्द हो गयी। जिससे हम इस समय पैसे पैसे के मोहताज हो गए हैं। बच्चों की स्कूल फीस नही जमा कर पा रहे हैं।

कभी-कभी भूखे पेट भी सोना पड़ा। इस समय 3-4 दिन में कहीं 100-200 की कमाई हो जाती है। रविन्द्र ने कहा जब भैया के मरने पर विहिप ने सम्मान किया था, उसके बाद हमें पलटकर भी नही पूछा। हम यहां के वर्तमान भाजपा विधायक के पास भी गए, लेकिन वह मिले ही नही। अब बेटियों की शादी कैसे करूंगा यह भी नही समझ आ रहा है। हालांकि, रविन्द्र कहते है कि श्री राम का मंदिर बनने जा रहा है। यही सबसे बढ़िया बात है। भैया का बलिदान बेकार नही गया।

दूसरी कहानी: जब महिलाएं बाहर नहीं निकलती थी, तब मां ने दुकान संभाल कर हमें पढ़ाया लिखाया
हनुमान गढ़ी से लगभग डेढ़ दो किमी दूर नया घाट मोहल्ला में मुख्य सड़क पर ही संदीप गुप्ता की कपड़ों की दुकान है। संदीप गुप्ता के पिता वासुदेव गुप्ता की भी मौत 30 अक्टूबर 1990 को कारसेवा के दौरान ही हुई थी। दुकान पर बैठे संदीप ने बताया जब पिता जी की मौत हुई तो मेरी उम्र काफी कम थी।

मुझे बताया गया कि उस समय न तो रिश्तेदार हमारी मदद को खड़े हुए न ही हमारे दादा-दादी। उसी समय से हम लोग अलग रह रहे हैं। मुझे याद है मेरी माँ शकुंतला उस समय घूंघट डाले रहती थी लेकिन हम लोगों को पालना था तो वह दुकान पर बैठने लगी।

ये वासु देव गुप्ता हैं। इनके बेटे संदीप अब कपड़ों की दुकान चलाते हैं।

पहले पिता जी मिठाई की दुकान चलाते थे। बाद में जब मां ने दुकान ने संभाली तो कपड़ों की दुकान खोली। धीरे-धीरे खर्चा पानी चलता रहा। हम लोगों को पढ़ाया। एक बहन की शादी हो गयी है। एक बहन अभी घर पर है। हम दोनों भाई बहन ग्रेजुएशन किये हुए हैं। हमारी कहीं नौकरी नहीं लगी तो हम मां के साथ दुकान पर बैठने लगे।

लॉकडाउन में तो हम लोगों की हालत और खराब हो गयी है। धार्मिक शहर में जब कोई आएगा ही नही तो कुछ बिकेगा ही नही। अब मंदिर बन रहा है मेरी यही अपील है ट्रस्ट से कि हम लोगों को भी कुछ काम दे दिया जाए। ताकि हम लोगों की भी रोजी-रोटी चल सके।

तीसरी कहानी: 30 साल पहले हुई थी विधवा, अब बच्चों की बेरुखी डराती है
हनुमान गढ़ी से लगभग 500 मीटर दूर रानी मोहल्ले में गायत्री देवी का घर है। 1990 में कारसेवा के दौरान इनके पति रमेश पांडेय की भी जान चली गयी थी। विहिप ने तब 10 लाख से ज्यादा रुपयों से इस परिवार की मदद भी की थी लेकिन एक विधवा ने अपने परिवार को उन्हीं रुपयों से संभाला और संवारा लेकिन बुढ़ापे में उसे थोड़े-थोड़े पैसों के लिए भी दूसरों का मुंह देखना पड़ रहा है।

यह बताते बताते 55 साल की गायत्री की आंखों में आंसू आ जाते हैं। घर के दरवाजे पर टिकी गायत्री कहती हैं कि 13-14 साल की उम्र रही होगी जब मेरी शादी हो गयी थी। 10-15 बरस बीते होंगे जब पति भरा पूरा परिवार छोड़ कर चले गए।

1990 में कारसेवा के दौरान इनके पति रमेश पांडेय की भी जान चली गयी थी।

दो बेटे और दो लड़कियां और हमारी सास को पीछे छोड़ गए थे। हमको समझ नहीं आ रहा था कि अब आगे कैसे और क्या करेंगे। पति हमारे एक ईंट भट्ठे पर मुंशी थे जिंदगी आराम से चल रही थी। लेकिन, बाद में दिक्कत हो गयी। तब विहिप ने पैसों से मदद की। उसी से दो बेटियों की शादी की। दोनों बेटों को बड़ा किया। सास की दवाई पानी की। अब बड़ा बेटा कारसेवक पुरम में ही नौकरी करता है।

जबकि दूसरा बेटा भी कहीं प्राइवेट जॉब करता है। बड़ा बेटा अलग रहता है। मैं छोटे बेटे के साथ रहती हूँ। अब बुढ़ापा आ गया है। पैसे खत्म हो चुके हैं। थोड़े-थोड़े पैसों के लिए अब किसी का मुंह देखना अच्छा नही लगता है। चिंता रहती है कि कैसे आगे की जिंदगी कटेगी। गायत्री संभलते हुए कहती है कि चलो सबसे अच्छा हुआ कि राममंदिर बनने जा रहा है। हो सकता है कि हम लोगों को भी निमंत्रण मिले।

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The VHP did not turn back and complained to anyone, someone's son works in Karsevakapuram.


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राम मंदिर के गर्भगृह में 200 फीट गहराई में रखा जाएगा टाइम कैप्सूल, इंदिरा गांधी और नरेंद्र मोदी ऐसा पहले भी कर चुके हैं

अयोध्या में 5 अगस्त को राम मंदिर की नींव रखी जाएगी। इससे पहले राम मंदिर नींव के भीतर टाइम कैप्सूल रखे जाने को लेकर खूब चर्चा है। यह कैप्सूल क्या है? क्या ऐसा पहली बार हो रहा है? ऐसे तमाम सवाल लोगों के मन में चल रहे हैं। दरअसल, बताया जा रहा है कि राम मंदिर का इतिहास हजारों साल तक मौजूद रहे, इसके लिए मंदिर के गर्भगृह की 200 फीट गहराई में टाइम कैप्सूल रखा जाएगा।

इस टाइम कैप्सूल पर मंदिर का पूरा विवरण और इतिहास लिखा रहेगा, ताकि भविष्य में जन्मभूमि और राम मंदिर का इतिहास देखा जा सके और कोई विवाद न हो। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्य कामेश्वर चौपाल ने मीडिया को सबसे पहले यह जानकारी दी थी।

बिहार के रहने वाले कामेश्वर चौपाल वह व्यक्ति हैं, जिन्होंने 9 नवंबर 1989 को अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए आधारशिला रखी थी। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद राम मंदिर निर्माण के लिए बने श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट में उन्हें सदस्य भी बनाया गया है।

1989 में भी भूमि के नीचे दबाया गया था ताम्र लेख
राम मंदिर के चीफ आर्किटेक्ट निखिल सोमपुरा बताते हैं कि प्रधानमंत्री के कार्यक्रम के बाद मंदिर का निर्माण शुरू हो जाएगा। उनके मुताबिक 200 मीटर गहराई की मिट्टी का सैंपल लिया गया था, लेकिन अभी उसकी रिपोर्ट नहीं आई है। रिपोर्ट के आधार पर ही मंदिर का निर्माण करने वाली कंपनी एलएनटी नींव की खुदाई शुरू कर देगी।

  • टाइम कैप्सूल क्या होता है?

टाइम कैप्सूल एक कंटेनर की तरह होता है और हर तरह के मौसम को सहन करने की इसमें क्षमता होती है। अयोध्या में राम मंदिर के नीचे डाला जाने वाला टाइम कैप्सूल कुछ सदियों के बाद एक ऐतिहासिक दस्तावेज के रूप में जाना जाएगा। टाइम कैप्सूल को एक ऐसे ऐतिहासिक महत्व के दस्तावेज के रूप में जाना जाता है, जिसमें किसी काल की सामाजिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक स्थिति का उल्लेख हो। यह दस्तावेज ताम्र पत्र पर लिखा जाएगा।

  • टाइम कैप्सूल पर क्या लिखा जाएगा?

इस ताम्र पत्र पर मंदिर का संक्षिप्त इतिहास, शिलान्यास की तारीख, भूमिपूजन करने वाले मुख्य अतिथि, उपस्थित विशिष्टजन का नाम, निर्माण की शैली तथा वास्तुविद का नाम लिखा रहेगा। ट्रस्ट के सदस्य कामेश्वर चौपाल के अनुसार, ताम्र लेख तैयार करने की जिम्मेदारी दिल्ली की एक कंपनी को सौंपी गई है।

1989 में भी जब राममंदिर का शिलान्यास हुआ था, तब भी एक ताम्र लेख भूमि के नीचे दबाया गया था

इस बीच, यह जानकारी भी सामने आई है कि साल 1989 में जब गर्भगृह के सामने राममंदिर का शिलान्यास हुआ था, उस वक्त भी एक ताम्र लेख भूमि के नीचे दबाया गया था। रामलला की ओर से मुकदमे की पैरवी करने वाले वकील त्रिलोकीनाथ पांडेय बताते हैं कि उस वक्त ताम्र लेख विश्व हिन्दू परिषद के महासचिव अशोक सिंहल ने तैयार कराया था। पांडेय बताते हैं कि ताम्रपत्र तांबे से बनाया जाता है, क्योंकि इस धातु में जंग नहीं लगती है। यह लेख मिट्टी में भी हजारों साल तक सुरक्षित रहेगा।

जब इंदिरा गांधी ने बनवाया टाइम कैप्सूल
भारत में पहले भी ऐसे टाइम कैप्सूल ऐतिहासिक महत्व की इमारतों की नींव में डाले जा चुके हैं। 1973 में इंदिरा गांधी सरकार ने लालकिले की नींव में ऐसा ही एक टाइम कैप्सूल डाला था। तब इसे काल-पत्र का नाम दिया गया था। उस वक्त विपक्ष के लोगों ने इंदिरा गांधी के इस कदम की काफी आलोचना की थी और आरोप लगाया था कि इस काल-पत्र में इंदिरा गांधी ने अपने परिवार का महिमामंडन किया है।

इंदिरा सरकार के काल-पत्र में क्या लिखा था, उसका राज आज तक नहीं खुल सका

  • इंदिरा गांधी की सरकार ने अतीत की अहम घटनाओं को दर्ज करने का काम इंडियन काउंसिल ऑफ हिस्टोरिकल रिसर्च यानी आईसीएचआर को सौंपा था और मद्रास क्रिश्चियन कॉलेज के इतिहास के प्रोफेसर एस कृष्णासामी को पूरी पाण्डुलिपि तैयार करने की जिम्मेदारी दी गई थी, लेकिन यह काम पूरा होने से पहले ही विवादों में फंस गया और इंदिरा सरकार के इस काल-पत्र में क्या लिखा था, उसका राज आज तक नहीं खुल सका।
  • 1977 में कांग्रेस सत्ता से बेदखल हो गई और मोरारजी देसाई के नेतृत्व में जनता पार्टी की सरकार बनी। सरकार गठन के कुछ दिनों बाद टाइम कैप्सूल को निकाला गया, लेकिन जनता पार्टी की सरकार ने इस बात का रहस्योद्घाटन नहीं किया कि उस टाइम कैप्सूल में क्या था? बाद में प्रधानमंत्री कार्यालय से मांगी गई एक जानकारी में बताया गया था कि पीएमओ को इसके बारे में कुछ भी पता नहीं है।

मोदी भी बनवा चुके हैं टाइम कैप्सूल
टाइम कैप्सूल के विवाद से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नाम भी जुड़ा रहा है। नरेंद्र मोदी जब गुजरात के मुख्यमंत्री थे तो 2011 में उन पर भी टाइम कैप्सूल दफनाने का विपक्ष ने आरोप लगाया था। विपक्ष का कहना था कि गांधीनगर में निर्मित महात्मा मंदिर के नीचे टाइम कैप्सूल दफनाया गया है, जिसमें मोदी ने अपनी उपलब्धियों का बखान किया है।

2017 में स्पेन में 400 साल पुराना टाइम कैप्सूल निकला था
30 नवंबर 2017 को स्पेन के बर्गोस में करीब 400 साल पुराना टाइम कैप्सूल निकला था, जो ईसा मसीह की मूर्ति के रूप में था। मूर्ति के भीतर साल 1777 के आसपास की आर्थिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक जानकारियां थीं।



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अयोध्या में 5 अगस्त को राम मंदिर की नींव रखी जाएगी। इससे पहले राम मंदिर नींव के भीतर टाइम कैप्सूल रखे जाने को लेकर खूब चर्चा है।


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